आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मेक इन इंडिया को मजबूती देने के लिए भारतीय कंपनियों से किया करोड़ो रुपये का सौदा
नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मेक इन इंडिया को और मजबूती देने के लिए भारतीय कंपनियों से 27 हजार करोड़ रुपये का सौदा किया है। इसके तहत सेना के विभिन्न अंगों के लिए हथियारों, समुद्री पोतों, मिसाइल प्रणालियों व अन्य उपकरणों की खरीद होनी है। सबसे अधिक 19600 करोड़ रुपये का रक्षा सौदा नौसेना के लिए अगली पीढ़ी के 11 गश्ती पोतों और अगली पीढ़ी के छह मिसाइल युक्त पोतों की खरीद के लिए किया गया है। वहीं, थल सेना ने भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) के साथ 6000 करोड़ रुपये के आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की दो रेजिमेंट की खरीद का सौदा किया है। इसके अलावा, रक्षा मंत्रालय ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को 13 लाइनेक्स -यू2 फायर कंट्रोल सिस्टम के लिए 1700 करोड़ रुपये का आदेश दिया है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार 11 गश्ती पोतों के निर्माण का ठेका गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) और गार्डन रीच शिपबिल्डिंग एंड इंजीनियर्स (जीआरएससी), कोलकाता को दिया गया है। यह सौदा 9,781 करोड़ रुपये में हुआ है। 7 का निर्माण जीएसएल जबकि 4 का जीआरएसी को करना है और यह पूरी तरह स्वदेशी पोत होंगे। इनकी आपूर्ति 2026 के सितंबर महीने से शुरू होगी। बीईएल से खरीदी जाने वाली लाइनेक्स-यू2 फायर कंट्रोल प्रणाली को इन्हीं गश्ती पोतों पर लगाया जाएगा।
थल सेना ने बीडीएल के साथ आकाश एयर डिफेंस सिस्टम का जो सौदा किया है वह पहले विदेश से खरीदा जाना था। लेकिन मोदी सरकार के स्वदेशी पर जोर के बाद इसे भारतीय कंपनी से खरीदने का फैसला किया गया। रक्षा सूत्रों ने बताया, यह मिसाइल सिस्टम का उन्नत वर्जन है और भारतीय सेना की मारक क्षमता में बढ़ावा करेगा।
आकाश मिसाइल प्रणाली को चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा के ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात किया जाएगा। इससे सेना की रक्षा क्षमता में बढ़ोतरी होगी। वर्तमान आकाश मिसाइल के मुकाबले इस उन्नत मिसाइल प्रणाली में स्वदेशी एक्टिव रेडियो फ्रिक्वेंसी (आरएफ) सीकर का इस्तेमाल किया गया है जो इसे ज्यादा सटीक बनाती है। रक्षा मंत्रालय ने बीईएल से नौसेना के लिए जो 13 लाइनेक्स -यू2 फायर कंट्रोल सिस्टम खरीद का सौदा किया है वह वास्तव में नौसेना की गन फायर कंट्रोल प्रणाली है जिसे पूरी तरह स्वदेश में विकसित किया गया है। इसे समुद्र में सटीकता से निशाना लगाने और लक्ष्य निर्धारित करने में मदद मिलेगी। इसका इस्तेमाल समुद्र, वायु और सतह तीनों लक्ष्यों के लिए किया जा सकता है।